Implementation of CAA in Country !!! सावधान, जानिए क्या है CAA का पूरा मामला

सबसे पहले तो हम आपको बताएंगे की हमारे कुछ स्रोतों के मुताबिक, CAA को लेकर कुछ हलचल देखने को मिली है और जहां तक हमें पता चला है तो आपको बता दे की बहुत जल्द देश के अंदर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA : Citizenship Amendment Act) लागू किया जा सकता है। और यह भी कहा जा रहा है कि गृह मंत्रालय किसी भी समय CAA नियमों के संबंध में सूचनाएं जारी कर सकता है,


लोकसभा चुनाव के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट जारी होने से पहले। सीएए नियमों का उद्देश्य यह है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, और बांग्लादेश से भारत आने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता सुनिश्चित की जाए।

CAA

अगर आपको भी भी अभी तक CAA का सही से मतलब नहीं पता है तो चिंता मत कीजिये इस आर्टिकल को पढ़कर आपको बहुत आसानी से सब कुछ समझ आ जायेगा। अगर देखा जाये तो CAA एक ऐसा अधिनियम है जिसके तहत उन उत्पीड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों जो कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान से आये लोगो (प्रवासियों) को भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सके, जिसके अंदर कुछ मुख्य धर्मो को रखा गया है जो कि हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, और ईसाई हैं, और ये अधिनियम उन लोगो पर लागु होगा जो कि 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हैं।

अगर आप भी किसी ऐसे इंसान को जानते है और वह प्रवाशी भी यहा की नागरिकता लेने का इच्छुक है तो अब वह बड़े ही आराम से आवेदन क्र सकता है जिसके लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म त्यार किया गया है। जिस अब कोई भी आवेदक अपना ऑनलाइन ही आवेदन कर सकता है।


चार साल के बड़े ही जद्दोजहद के बाद, अब सीएए के कार्यान्वयन के लिए नियमों की आवश्यकता है। इस नियम से जुड़े कुछ अधिकारियो ने इस बात की पुष्टि की है। पूरा आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन होगा,आवेदन करने वालो को केवल उनके भारत में प्रवेश के वर्ष का उल्लेख करना होगा बिना यात्रा दस्तावेज़ों के, और कोई अतिरिक्त दस्तावेज़ नहीं मांगे जाएंगे।

राजनीती में काफी ज्यादा चर्चाओं में रहा CAA का यह मुद्दा भाजपा (BJP : भारतीय जनता पार्टी) ने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में विवादों में रहा CAA को लागु करने को लेकर उस टाइम महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बनाया।

दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त करने के बाद, सीएए ने पुरे देशभर में विशाल प्रदर्शनों को उत्पन्न किया, जिससे बहुत से लोगों की मौत हुई। सबसे पहले प्रदर्शन शुरू में असम में हुए, 4 दिसंबर 2019 को संसद में बिल के पेश किए जाने के बाद, और फिर उसके बाद कई बड़े शहरों जैसे कि दिल्ली में फैले।

प्रदर्शनों में 27 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 22 केवल उत्तर प्रदेश में हुई। हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ 300 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए।

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